Deepawali 2018 Puja Muhurat and Puja Vidhi
दीपावली 2018
Lakshmi Puja
(Wednesday)
Shubh Muhurat शुभ मुहूर्त
Pradosh Kaal Muhurat
Pradosh Kaal = 17:27 to 20:06
Vrishabha Kaal = 17:57 to 19:52
Amavasya Tithi Ends = 21:31 on 7/Nov/2018
Mahanishita Kaal Muhurat
Mahanishita Kaal = 23:38 to 24:31+
Simha Kaal = 24:27+ to 26:45+
Amavasya Tithi Ends = 21:31 on 7/Nov/2018
Choghadiya Puja Muhurat
Morning Muhurta (Labh, Amrit) = 06:41 – 09:22
Morning Muhurta (Shubh) = 10:43 – 12:04
Afternoon Muhurta (Char, Labh) = 14:46 – 17:28
Evening Muhurta (Shubh, Amrit, Char) = 19:07 – 21:31
2018 Lakshmi Puja, Diwali Puja
Lakshmi Puja Vrat and rituals
On the day of Diwali, people should get up early in the morning and pay tribute to their ancestors and worship family gods. Being Amavasya day, people also perform Shradh for their ancestors. Traditionally, most Puja are performed after keeping a day long fast. Hence, the devotees of Goddess Lakshmi observe a day long fast on the day of Lakshmi Puja. The fast is broken after Lakshmi Puja in the evening.
Lakshmi Puja Preparations
Most Hindu families decorate their homes and offices with marigold flowers and Ashoka, mango and banana leaves on the day of Lakshmi Puja. It is considered auspicious to keep Mangalik Kalash covered with unpeeled coconut at both side of the main entrance of the home.
For Lakshmi Puja preparations, one should keep a red cloth at the right hand side on a raised platform and install idols of Goddess Lakshmi and Lord Ganesha on it after adorning them with silk clothes and jewellery. After this, one should keep a while cloth at the left hand side on a raised platform for installing Navgraha gods. One should prepare nine slots of Akshata (unbroken rice) for installing Navgraha on the white cloth and prepare sixteen slots of wheat or wheat flour on the red cloth. One should perform Lakshmi Puja with full rituals as described on Lakshmi Puja Vidhi.
Lakshmi Puja Muhurat
On Diwali, Lakshmi Puja should be done during Pradosh Kaal which starts after sunset and approximately lasts for 2 hours and 24 minutes. Some sources propose Mahanishita Kaal also to perform Lakshmi Puja. In our opinion Mahanishita Kaal is best suited for Tantrik community and practicing Pandits who know the best about Lakshmi Puja during this special time. For common people we propose Pradosh Kaal Muhurat.
We don’t advise to choose Choghadiya Muhurat to perform Lakshmi Puja as those Muhurtas are good only for travelling. The best time for Lakshmi Puja is during Pradosh Kaal when Sthir Lagna prevails. Sthir means fixed i.e. not moveable. If Lakshmi Puja is done during Sthir Lagna, Lakshmiji will stay in your home; hence this time is the best for Lakshmi Pujan. Vrishabha Lagna is considered as Sthir and mostly overlaps with Pradosh Kaal during Diwali festivity.
We provide exact window for Lakshmi Puja. Our Muhurat times contain Pradosh Kaal and Sthir Lagna while Amavasya is prevailing. We provide Muhurat based on location, hence you should select your city first before noting down Shubh Lakshmi Puja timings.
Many communities especially Gujarati businessmen do Chopda Pujan during Diwali Puja. During Chopda Puja new account books are inaugurated in presence of Goddess Lakshmi to seek Her blessing for the next financial year. Diwali Puja is also known as Deepavali Puja and Lakshmi Ganesh Pujan.
The whole team of pujabooking wishes you happy and prosperous Diwali 2018.
लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग २ घण्टे २४ मिनट तक रहता है। कुछ स्त्रोत लक्ष्मी पूजा को करने के लिए महानिशिता काल भी बताते हैं। हमारे विचार में महानिशिता काल तांत्रिक समुदायों और पण्डितों, जो इस विशेष समय के दौरान लक्ष्मी पूजा के बारे में अधिक जानते हैं, उनके लिए यह समय ज्यादा उपयुक्त होता है। सामान्य लोगों के लिए हम प्रदोष काल मुहूर्त उपयुक्त बताते हैं।
लक्ष्मी पूजा को करने के लिए हम चौघड़िया मुहूर्त को देखने की सलाह नहीं देते हैं क्योंकि वे मुहूर्त यात्रा के लिए उपयुक्त होते हैं। लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है। वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है।
लक्ष्मी पूजा के लिए हम यथार्थ समय उपलब्ध कराते हैं। हमारे दर्शाये गए मुहूर्त के समय में अमावस्या, प्रदोष काल और स्थिर लग्न सम्मिलित होते हैं। हम स्थान के अनुसार मुहूर्त उपलब्ध कराते हैं इसीलिए आपको लक्ष्मी पूजा का शुभ समय देखने से पहले अपने शहर का चयन कर लेना चाहिए।
अनेक समुदाय विशेष रूप से गुजराती व्यापारी लोग दीवाली पूजा के दौरान चोपड़ा पूजन करते हैं। चोपड़ा पूजा के दौरान देवी लक्ष्मीजी की उपस्थिति में नई खाता पुस्तकों का शुभारम्भ किया जाता है और अगले वित्तीय वर्ष के लिए उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है। दीवाली पूजा को दीपावली पूजा और लक्ष्मी गणेश पूजन के नाम से भी जाना जाता है।
दिवाली पूजा विधि
दिवाली पूजन में सबसे पहले श्री गणेश जी का ध्यान करें। इसके बाद गणपति को स्नान कराएं और नए वस्त्र और फूल अर्पित करें।
इसके बाद देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करें। मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थान पर रखें। मूर्ति में मां लक्ष्मी का आवाहन करें। हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके घर आएं।
अब लक्ष्मी जी को स्नान कराएं। स्नान पहले जल फिर पंचामृत और फिर वापिस जल से स्नान कराएं। उन्हें वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण और माला पहनाएं।
इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं। अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें। इसके बाद बेल पत्थर और उसके पत्ते भी उनके पैरों के पास रखें। 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा करें। अब उन्हें भोग लगाएं।
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