ऐसे करें मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ, हर मनोरथ होंगे पूरे
कहा जाता है कि चालीस सप्ताह तक लगातार जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक सुंदरकांड का पाठ करता है तो उसके सारे मनोरथ पूर्ण होते है।
किसी भी हफ्ते का तीसरा दिन मंगलवार होता है इस दिन महाबली हनुमान की पूजा का विधान है। बल, बुद्धि, विद्या के दाता हनुमान जी की पूजा से से व्यक्ति जीवन के हर संकट से मुक्ति पा लेता है। सभी देवों में हनुमान जी को ही इस धरती पर जीवित देवों में माना गया है जो कि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस कलियुग में धरती पर विचरण करते हैं। मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करने की परंपरा है। यह भी कहा जाता है कि चालीस सप्ताह तक लगातार जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक सुंदरकांड का पाठ करता है तो उसके सारे मनोरथ पूर्ण होते है। उसके जीवन के हर कष्ट दूर हो जाते हैं।
सुंदरकांड का पाठ क्यों?
हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए विधिवत और सही नियमो के साथ हनुमानजी के सुन्दरकाण्ड का पाठ आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए । इस पाठ को एक बार पूर्ण करने में 2 से 3 घंटे का समय लगता है। पाठ करते समय शांति से और पूर्ण ध्यान के साथ यह पाठन करे । पाठ मंगलवार और शनिवार को करना अधिक कृपा देने वाला है और फलदायक हैं ।अच्छी तरह सुन्दरकाण्ड पाठ विधि के नियमो से यह धार्मिक पाठ करे। जिनके पास पूरा पाठ करने का समय नहीं हो वह 11 चौपाइयों का पाठ भी रोजाना कर सकते हैं।
सुंदरकांड पाठ की अनंत महिमा
शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है। किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियां हो, कोई काम नहीं बन पा रहा हो या फिर आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं।
माना जाता है कि सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। सुंदरकांड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का है। यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला पाठ हैं।
सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है। हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है। बजरंगबली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं और इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुंदरकांड का पाठ करना है। हनुमानजी को जल्द प्रसन्न करने के लिए सुंदरकांड का पाठ किया जाता है और इस पाठ को करने वाले व्यक्ति के जीवन में खुशियों का संचार होने लगता है।
सुंदरकांड : हनुमान जी की स्तुति
सुन्दरकाण्ड श्री हनुमान जी की स्तुति है। सुन्दरकाण्ड का पाठ करने से पहले ये मन में विश्वास रखे कि जैसे, हनुमानजी ने श्री राम जी के सब काज संवारे हमारे भी सब कष्ट हरेंगे। सुंदरकांड में तीन श्लोक, साठ दोहे तथा पांच सौ छब्बीस चौपाइयां हैं । साठ दोहों में से प्रथम तीस दोहों में विष्णुस्वरूप श्री राम के गुणों का वर्णन है । सुंदर शब्द इस कांड में चौबीस चौपाइयों में आया है ।
कैसे करें सुंदरकांड का पाठ
– सुंदरकांड का पाठ करने से पहले भक्त स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– हनुमानजी और श्री राम की फोटो या प्रतिमा पर पुष्पमाला चढ़ाकर दीप जलाये और भोग में गुड चन्ने या लड्डू का भोग अर्पित करे।
– पाठ शुरू करने से पहले सबसे पहले श्री गणेश की पूजा करे फिर अपने गुरु की , पितरो की फिर श्री राम की वंदना करके सुन्दरकाण्ड का पाठ शुरू करे।
– पूर्ण करने में ही ध्यान दे।
– पाठ खत्म होने के बाद श्री हनुमान आरती और श्री राम जी आरती करे और पाठ में भाग लेने वालो को आरती और प्रसाद दे ।
– सुन्दरकाण्ड प्रारम्भ करने के पहले हनुमानजी व् राम चन्द्र जी का आवाहन जरूर करें।
– जब सुन्दर कांड समाप्त हो जाये तो भगवान को भोग लगा कर ,आरती करके ,उनकी विदाई भी करें।
– पाठ होने के बाद सुंदरकांड को लाल कपड़े में श्रद्धापूर्वक लपेटकर पूजा स्थान पर रख दें।