Makar Sankranti 2022
(Friday/ शुक्रवार)
Makar SankrantiShubh Muhurat शुभ मुहूर्त
Makar Sankranti Punya Kaal Muhurta
Sankranti Moment = 02:43 PM on 14th, January
Makar Sankranti or Sankranthi 2022
The time between Makar Sankranti and 40 Ghatis (roughly 16 hours for Indian locations if we consider 1 Ghati duration as 24 minutes) from the time of Makar Sankranti is considered good for auspicious work. This duration of forty Ghatis is known as Punya Kaal. Sankranti activities, like taking bath, offering Naivedhya (food offered to deity) to Lord Surya, offering charity or Dakshina, performing Shraddha rituals and breaking fast or Parana, should be done during Punya Kaal.
If Makar Sankranti happens after Sunset then all Punya Kaal activities are postponed till next day Sunrise. Hence all Punya Kaal activities should be done in day time.
Pujabooking.com suggests Sankranti Muhurta which falls between Makar Sankranti moment and 40 Ghatis from it. We list this time as Punya Kaal Muhurta. Our holy scriptures suggest that 5 Ghatis duration after Sunrise (if Sankranti happens after Sunset on previous day) and 1 Ghati duration after Sankranti moment (if Sankranti happens in day time) are highly auspicious. If this Muhurta is available we list it as Mahapunya Kaal Muhurta. Mahapunya Kaal Muhurta, if available, should be preferred over Punya Kaal Muhurta.
In Tamil Nadu Makar Sankranti or Sankranthi is known as Pongal. In Gujarat and Rajasthan Makar Sankranti is known as Uttarayana. In Haryana and Punjab Makar Sankranti is known as Maghi.
Sankranti Punya Kaal is different for all cities. Hence it is important to set your location first before noting down Sankranti Muhurta.
इस बार 14 जनवरी को मकर संक्रांति, जानें पूजा मुहूर्त, विधि और महत्व
मकर संक्रांति 2022 इस साल बेहद खास संयोग में आ रहा है। इस पर अच्छी बात यह भी है कि इस साल मकर संक्रांति की तिथि को लेकर किसी तरह का कन्फ्यूजन भी नहीं है। इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पूरे देश में मनाई जाएगी। इसी दिन पोंगल, बिहू और उत्तरायण पर्व भी मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति के पर्व को देश में माघी, पोंगल, उत्तरायण, खिचड़ी और बड़ी संक्रांति आदि नामों से जाना जाता है। आपको जानकर खुशी होगी कि मकर संक्रांति के दिन ही गुजरात में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्वस मनाया जाता है। जानें मकर संक्रांति का मुहूर्त, पूजा विधि और अन्य खास बातें-
मकर संक्रांति पर सूर्य का मकर में प्रवेश
मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाए जाने की वजह यह है कि इस साल ग्रहों के राजा सूर्य का मकर राशि में आगमन गुरुवार 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है। गुरुवार को संक्रांति होने की वजह से यह नंदा और नक्षत्रानुसार महोदरी संक्रांति मानी जाएगी जो ब्राह्मणों, शिक्षकों, लेखकों, छात्रों के लिए लाभप्रद और शुभ रहेगी। शास्त्रों का मत है कि संक्रांति के 6 घंटे 24 मिनट पहले से पुण्य काल का आरंभ हो जात है। इसलिए इस वर्ष ब्रह्म मुहूर्त से संक्रांति का स्नान दान पुण्य किया जा सकेगा। इस दिन दोपहर 2 बजकर 38 मिनट तक का समय संक्रांति से संबंधित धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम रहेगा। वैसे पूरे दिन भी स्नान दान किया जा सकता है।
मकर संक्रांति के साथ समाप्त हो जाएगा खरमास
मकर संक्रांति को सूर्य के धनु राशि में आने से खरमास समाप्त हो जाएगा। लेकिन इस बार खरमास समाप्त होने पर भी विवाह और दूसरे शुभ कार्य का आयोजन नहीं किया जा सकेगा। इसकी वजह यह है कि मकर संक्रांति के 3 दिन बाद ही गुरु अस्त हो जा रहे हैं। गुरु तारा अस्त होने से शुभ कार्यों पर 14 फरवरी तक विराम लगा रहेगा।
इसलिए अबकी बार मकर संक्रांति खास
इस बार मकर संक्रांति के दिन सबसे खास बात यह है कि सूर्य के पुत्र शनि स्वयं अपने घर मकर राशि में गुरु महाराज बृहस्पति और ग्रहों के राजकुमार बुध एवं नक्षत्रपति चंद्रमा को साथ लेकर सूर्यदेव का मकर राशि में स्वागत करेंगे। ग्रहों का ऐसा संयोग बहुत ही दुर्लभ माना जाता है क्योंकि ग्रहों के इस संयोग में स्वयं ग्रहों के राजा, गुरु, राजकुमार, न्यायाधीश और नक्षत्रपति साथ रहेंगे। सूर्य का प्रवेश श्रवण नक्षत्र में होगा जिससे ध्वज नामक शुभ योग बनेगा। ग्रहों के राज सूर्य सिंह पर सवार होकर मकर में संक्रमण करेंगे। ऐसे में राजनीति में सत्ता पक्ष का प्रभाव बढ़ेगा और देश में राजनीतिक उथल-पुथल, कुछ स्थानों पर सत्ता में फेरबदल भी हो सकता है।
मकर संक्रांति पूजा विधि-
मकर संक्रांति के दिन सुबह किसी नदी, तालाब शुद्ध जलाशय में स्नान करें। इसके बाद नए या साफ वस्त्र पहनकर सूर्य देवता की पूजा करें। चाहें तो पास के मंदिर भी जा सकते हैं। इसके बाद ब्राह्मणों, गरीबों को दान करें। इस दिन दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से लोगों को दिए जाते हैं। इसके बाद घर में प्रसाद ग्रहण करने से पहले आग में थोड़ी सा गुड़ और तिल डालें और अग्नि देवता को प्रणाम करें।
मकर संक्रांति पूजा मंत्र
ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:
मकर संक्रांति का महत्व- आज के दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते हैं। उत्तरायण में सूर्य रहने के समय को शुभ समय माना जाता है और मांगलिक कार्य आसानी से किए जाते हैं। चूंकि पृथ्वी दो गोलार्धों में बंटी हुई है ऐसे में जब सूर्य का झुकाव दाक्षिणी गोलार्ध की ओर होता है तो इस स्थिति को दक्षिणायन कहते हैं और सूर्य जब उत्तरी गोलार्ध की ओर झुका होता है तो सूर्य की इस स्थिति को उत्तरायण कहते हैं। इसके साथ ही 12 राशियां होती हैं जिनमें सूर्य पूरे साल एक-एक माह के लिए रहते हैं। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं।