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Gudi Padwa 2019 Date & Muhurat

Gudi Padwa गुड़ी पड़वा

6th
April 2019
(Saturday)
Marathi New Year

 

Gudi Padwa Timings

 

Marathi Vikram Samvat 2076 Begins

Pratipada Tithi Begins = 14:20 on 5/Apr/2019
Pratipada Tithi Ends = 15:23 on 6/Apr/2019
Note – 24-hour clock with local time of Ujjain & DST adjusted for all Muhurat timings (if applicable)

 

गुडी पडवा मुहूर्त

 

मराठी विक्रम संवत 2076 शुरू

 

अप्रैल 5, 2019 को 14:21:48 से प्रतिपदा आरम्भ
अप्रैल 6, 2019 को 15:24:55 पर प्रतिपदा समाप्त
टिप्पणी – २४ घण्टे की घड़ी उज्जैन के स्थानीय समय के साथ और सभी मुहूर्त के समय के लिए डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है)।

 

गुड़ी पड़वा का पर्व मुख्यतः महाराष्ट्र में हिन्दू नववर्ष या नव-सवंत्सर के आरंभ की ख़ुशी में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नए साल की शुरुआत होती है और इसी दिन यह त्योहार मनाने की प्रथा है।

गुड़ी पड़वा का मुहूर्त

1.  चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में जिस दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा हो, उस दिन से नव संवत्सर आरंभ होता है।
2.  यदि प्रतिपदा दो दिन सूर्योदय के समय पड़ रही हो तो पहले दिन ही गुड़ी पड़वा मनाते हैं।
3.  यदि सूर्योदय के समय किसी भी दिन प्रतिपदा न हो, तो तो नव-वर्ष उस दिन मनाते हैं जिस दिन प्रतिपदा का आरंभ व अन्त हो।

अधिक मास होने की स्थिति में निम्नलिखित नियम के अनुसार गुड़ी पड़वा मनाते हैं–

प्रत्येक 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के बाद वर्ष में अधिक मास जोड़ा जाता है। अधिक मास होने के बावजूद प्रतिपदा के दिन ही नव संवत्सर आरंभ होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिक मास भी मुख्य महीने का ही अंग माना जाता है। इसलिए मुख्य चैत्र के अतिरिक्त अधिक मास को भी नव सम्वत्सर का हिस्सा मानते हैं।

गुडी पडवा की पूजा-विधि

निम्न विधि को सिर्फ़ मुख्य चैत्र में ही किए जाने का विधान है–

• नव वर्ष फल श्रवण (नए साल का भविष्यफल जानना)
• तैल अभ्यंग (तैल से स्नान)
• निम्ब-पत्र प्राशन (नीम के पत्ते खाना)
• ध्वजारोपण
• चैत्र नवरात्रि का आरंभ
• घटस्थापना

संकल्प के समय नव वर्ष नामग्रहण (नए साल का नाम रखने की प्रथा) को चैत्र अधिक मास में ही शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जा सकता है। इस संवत्सर का नाम परिधावी है तथा वर्ष 2076 है। साथ ही यह श्री शालीवाहन शकसंवत 1941 भी है और इस शक संवत का नाम विकारीहै।

नव संवत्सर का राजा (वर्षेश)

नए वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को उस वर्ष का स्वामी भी मानते हैं। 2019 में हिन्दू नव वर्ष शनिवार से आरंभ हो रहा है, अतः नए सम्वत् का स्वामी शनि है।

गुड़ी पड़वा के पूजन-मंत्र

गुडी पडवा पर पूजा के लिए आगे दिए हुए मंत्र पढ़े जा सकते हैं। कुछ लोग इस दिन व्रत-उपवास भी करते हैं।

प्रातः व्रत संकल्प

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे अमुकनामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजः श्रीब्रह्मणः प्रसादाय व्रतं करिष्ये।

शोडषोपचार पूजा संकल्प

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे अमुकनामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजो भगवतः श्रीब्रह्मणः षोडशोपचारैः पूजनं करिष्ये।

पूजा के बाद व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस मंत्र का जाप करना चाहिए–

ॐ चतुर्भिर्वदनैः वेदान् चतुरो भावयन् शुभान्।
ब्रह्मा मे जगतां स्रष्टा हृदये शाश्वतं वसेत्।।

गुड़ी पड़वा मनाने की विधि

1. प्रातःकाल स्नान आदि के बाद गुड़ी को सजाया जाता है।

  – लोग घरों की सफ़ाई करते हैं। गाँवों में गोबर से घरों को लीपा जाता है।

  – शास्त्रों के अनुसार इस दिन अरुणोदय काल के समय अभ्यंग स्नान अवश्य करना चाहिए।

  – सूर्योदय के तुरन्त बाद गुड़ी की पूजा का विधान है। इसमें अधिक देरी नहीं करनी चाहिए।

2. चटख रंगों से सुन्दर रंगोली बनाई जाती है और ताज़े फूलों से घर को सजाते हैं।

3. नए व सुन्दर कपड़े पहनकर लोग तैयार हो जाते हैं। आम तौर पर मराठी महिलाएँ इस दिन नौवारी (9 गज लंबी साड़ी) पहनती हैं और पुरुष केसरिया या लाल पगड़ी के साथ कुर्ता-पजामा या धोती-कुर्ता पहनते हैं।

4. परिजन इस पर्व को इकट्ठे होकर मनाते हैं व एक-दूसरे को नव संवत्सर की बधाई देते हैं।

5. इस दिन नए वर्ष का भविष्यफल सुनने-सुनाने की भी परम्परा है।

6. पारम्परिक तौर पर मीठे नीम की पत्तियाँ प्रसाद के तौर पर खाकर इस त्यौहार को मनाने की शुरुआत की जाती है। आम तौर पर इस दिन मीठे नीम की पत्तियों, गुड़ और इमली की चटनी बनायी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे रक्त साफ़ होता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसका स्वाद यह भी दिखाता है कि चटनी की ही तरह जीवन भी खट्टा-मीठा होता है।

7. गुड़ी पड़वा पर श्रीखण्ड, पूरन पोळी, खीर आदि पकवान बनाए जाते हैं।

8. शाम के समय लोग लेज़िम नामक पारम्परिक नृत्य भी करते हैं।

गुड़ी कैसे लगाएँ

1. जिस स्थान पर गुड़ी लगानी हो, उसे भली-भांति साफ़ कर लेना चाहिए।
2. उस जगह को पवित्र करने के लिए पहले स्वस्तिक चिह्न बनाएँ।
3. स्वस्तिक के केन्द्र में हल्दी और कुमकुम अर्पण करें।

विभिन्न स्थलों में गुड़ी पड़वा आयोजन

देश में अलग-अलग जगहों पर इस पर्व को भिन्न-भिन्न नामों से मनाया जाता है।

1. गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे संवत्सर पड़वो नाम से मनाता है।
2. कर्नाटक में यह पर्व युगाड़ी नाम से जाना जाता है।
3. आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में गुड़ी पड़वा को उगाड़ी नाम से मनाते हैं।
4. कश्मीरी हिन्दू इस दिन को नवरेह के तौर पर मनाते हैं।
5. मणिपुर में यह दिन सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा कहलाता है।
6. इस दिन चैत्र नवरात्रि भी आरम्भ होती है।

इस दिन महाराष्ट्र में लोग गुड़ी लगाते हैं, इसीलिए यह पर्व गुडी पडवा कहलाता है। एक बाँस लेकर उसके ऊपर चांदी, तांबे या पीतल का उलटा कलश रखा जाता है और सुन्दर कपड़े से इसे सजाया जाता है। आम तौर पर यह कपड़ा केसरिया रंग का और रेशम का होता है। फिर गुड़ी को गाठी, नीम की पत्तियों, आम की डंठल और लाल फूलों से सजाया जाता है।

गुड़ी को किसी ऊँचे स्थान जैसे कि घर की छत पर लगाया जाता है, ताकि उसे दूर से भी देखा जा सके। कई लोग इसे घर के मुख्य दरवाज़े या खिड़कियों पर भी लगाते हैं।

गुड़ी का महत्व

गुड़ी पड़वा से अनेक चीज़े जुड़ी हुई हैं। आइए, देखते हैं उनमें से कुछ विशेष को–

1. सम्राट शालिवाहन द्वारा शकों को पराजित करने की ख़ुशी में लोगों ने घरों पर गुड़ी को लगाया था।
2. कुछ लोग छत्रपति शिवाजी की विजय को याद करने के लिए भी गुड़ी लगाते हैं।
3. यह भी मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने इस दिन ब्रह्माण्ड की रचना की थी। इसीलिए गुड़ी को ब्रह्मध्वज भी माना जाता है। इसे इन्द्र-ध्वज के नाम से भी जाना जाता है।
4. भगवान राम द्वारा 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आने की याद में भी कुछ लोग गुड़ी पड़वा का पर्व मनाते हैं।
5. माना जाता है कि गुड़ी लगाने से घर में समृद्धि आती है।
6. गुड़ी को धर्म-ध्वज भी कहते हैं; अतः इसके हर हिस्से का अपना विशिष्ट अर्थ है–उलटा पात्र सिर को दर्शाता है जबकि दण्ड मेरु-दण्ड का प्रतिनिधित्व करता है।
7. किसान रबी की फ़सल की कटाई के बाद पुनः बुवाई करने की ख़ुशी में इस त्यौहार को मनाते हैं। अच्छी फसल की कामना के लिए इस दिन वे खेतों को जोतते भी हैं।
8. हिन्दुओं में पूरे वर्ष के दौरान साढ़े तीन मुहूर्त बहुत शुभ माने जाते हैं। ये साढ़े तीन मुहूर्त हैं–गुड़ी पड़वा, अक्षय तृतीया, दशहरा और दीवाली को आधा मुहूर्त माना जाता है।

pujabooking.com की ओर से आप सभी को गुड़ी पड़वा 2019 की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Gudi Padwa is the Marathi festival, which is celebrated because Hindu New Year (known as “Samvatsara” in Sanskrit) begins from this day. As per the Panchang, Nav Samvatsar begins from the Pratipada of Shukla Paksha (bright fortnight) of Chaitra month.

Gudipadwa Muhurat

1.  The Samvatsara begins on the day when Pratipada (first day of a fortnight; also known as “Padva”) is prevailing during the sunrise.
2.  If Pratipada is prevailing on the sunrises of 2 days, the first day is considered for the celebration.
3.  If Pratipada is not prevailing during the sunrise of any day, Nav Varsh will be celebrated on the day when Pratipada is beginning and ending.

In case of Adhik Maas (extra month added after every 32 months, 16 days, and 8 Ghatis), below given rules will be followed:

If it is Chaitra Adhik Maas (the extra month), Nav Samvatsara will begin from its Pratipada only. It is because Adhik Maas is the part of its original month only. Hence, along with the original Chaitra month, Adhika Chaitra is also considered the part of the New Year.

When To Perform Gudi Padwa Rituals

Below given things can only be performed during the original Chaitra month:

• Nav Varsh Phal Shravan (listening to the New Year’s horoscope)
• Taila Abhyang (oil bath)
• Nimba Patra Prashan (eating Neem leaves)
• Dhwajaropan (flag hoisting)
• Navratrarambh (beginning of Chaitra Navratri)
• Ghatsthapana (establishing Kalash/holy stoup for Navratri Puja)

But, Nava Varsha Naamgrahan (naming ceremony of the New Year) during Sankalp must be done in Adhik Chaitra Shukla Pratipada only. The name of this Samvatsara is Paridhāvi 2076. It is also the Shri Shalivahan Shak 1941 and the name of this Samvat is Vikāri.

King of Nav Samvatsara (Varshesh)

Lord (astrological planet) of the first day of the New Year is considered as the Lord of the year. In 2019, the Hindu Nav Varsh day is Saturday. Hence, lord of the Hindu New Year 2019 is saturn.

Guddi Padwa Mantras

These Mantras can be chanted as per the relevance of your worship procedures. Some people keep fast on the day. Mantras for them as well are given below:

Morning Vrat Sankalp:

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे अमुकनामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजः श्रीब्रह्मणः प्रसादाय व्रतं करिष्ये।

Shodashopachar Puja Sankalp:

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे अमुकनामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजो भगवतः श्रीब्रह्मणः षोडशोपचारैः पूजनं करिष्ये।

After Puja, the fasting person must chant this Mantra:

ॐ चतुर्भिर्वदनैः वेदान् चतुरो भावयन् शुभान्।
ब्रह्मा मे जगतां स्रष्टा हृदये शाश्वतं वसेत्।।

Gudhipadwa Celebrations

1. In the morning, after doing the daily routine works like cleaning, bathing, etc., Gudi is hoisted.

  – People clean their houses; and in villages, houses are plastered with fresh cow-dung.

  – It is mentioned in the Shastras that Taila Abhyang must be done during the Arunodaya Kaal on this day.

  – Gudi must be worshiped just after the sunrise. It must not be delayed.

2. Beautiful Rangoli designs are also made with bright colors and houses are decorated with fresh flowers.

3. People dress up in new, beautiful clothes. Usually, Marathi women adorn themselves in Kastha or Nauvari (9-yard Saree tucked at the back) and men wear Kurta Pajama along with a turban, which is mostly saffron or red.

4. Families gather and greet the New Year to everyone.

5. New Year’s horoscope must also be heard on this day.

6. Traditionally, the celebration begins after having the sweetened Neem leaves as Prasad. Usually, a paste is made with Neem leaves, jaggery, tamarind, etc. It is believed that this paste purifies the blood and increases immunity. Taste of this paste signifies the course of life as sweet, sour, and bitter.

7. Delicacies are cooked like Shrikhand, Puran Poli, Kheer (sweet porridge kind of dessert usually made with sweet potato, coconut milk, jaggery, rice flour, etc. by Marathis), and Sanna.

8. Later in the evening, Lezim is performed by the people.

How To Raise Gudi

1. The area must be cleaned properly where the Gudi will be placed.
2. A Swastika should be made on the ground below the Gudi.
3. A Swastika should be made on the ground below the Gudi.

About Gudhi Padwa

Gudipadva has several names as per the different regions in India.

1. Samvatsar Padvo is celebrated among Konkanis of Goa and Kerala.
2. Rest of the Konkani diaspora in Karnataka know it as Yugadi.
3. People from Andhra Pradesh and Telangana celebrate Ugadi.
4. Kashmiris celebrate it as Navreh.
5. Sajibu Nongma Pānba or Meetei Cheiraoba is celebrated in Manipur.
6. Chaitra Navratri begins from this day for North Indians.

On this day, Marathis hoist the Gudi. That is why this festival is known as Gudi Padava. Gudi is made on a bamboo stick by placing an inverted Kalash of silver, copper, or bronze over it and adorning the bamboo with a beautiful cloth (usually, it is of saffron color and made of silk with brocaded borders). The Gudi is then adorned with Gaathi (sugar crystals garland), Neem leaves, a mango twig, and red-flower garland.

The Gudi is hoisted at a higher place like terrace in home so that it is quite visible to everyone. Many people also stick it on their windows or the right side of their doors.

Significance Of The Gudi

Many beliefs are associated with Gudhi Padva. Some of them are mentioned below:

1. People hoisted Gudi in history when their King Shalivahana defeated Sakas and came back to Paithan, as it is considered as the symbol of victory.
2. Some people also hoist Gudi to commemorate the victories of Chhatrapati Shivaji.
3. As it is believed by some that Lord Brahma created the universe on this day, Gudi is also believed to be the Brahma Dhwaj (Lord Brahma’s flag). Some people also consider it as Indra Dhwaj (flag of Lord Indra). Hence, for some, it is also the beginning of the spring season.
4. Some people also hoist Gudi as the symbol of the Lord Rama’s return to the Ayodhya after 14 years of exile.
5. Usually, it is believed that hoisting Gudi brings prosperity in life.
6. Gudi is also known as Dharma Dhwaj to many and its each part has a meaning. The inverted pot is considered as the head and stick is considered to be spine (as bamboo has the vertebrae, just like human spine).
7. For farmers, Gudhipadva is celebrated as the end of Rabi crop season and the beginning of the new harvest season. They plough their fields on this day to ensure a good harvest throughout the year.
8. Gudipadava is one of the most auspicious Sadhe Teen Muhurats (3 and a half most auspicious days) of Hindus. These Sade Teen Muhurats are Chaitra Shukla Pratipada (Gudi Padawa), Vaishakha Shukla Tritiya (Akshay Tritya), Ashwin Shukla Dashami (Dussehra), and half Muhurat is considered on Kartik Shukla Pratipada (Diwali). Being quite auspicious, many people start new ventures and investments on this day.

We, at pujabooking.com , wish you a very Happy Gudi Padwa!

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